प्रसिद्ध हस्तियों की नज़र में शशिकांत सदैव व उनकी पुस्तकें
तुम्हारी किताब इतनी कमाल की है कि मैं उसमें डूब गया और पढता ही चला गया। मैं हमेशा चाहता था कि ओशो पर कोई ऐसा काम होना चाहिए सो तुमने कर दिखाया है। आप एक भावुक कवि हैं, दर्द आपके हर काव्य में नजर आता है। दर्द, पीड़ा, छटपटाहट आपके सहचर और सहेलियां हैं। ये सभी आपको एक श्रेष्ठ रचनाकार बनाने में सफल होते हैं। इनमें जो एक दर्द की अंतर्धारा है वह निरन्तर गतिमान है, उसकी लय के साथ मन भी बहने लगता है।

पद्म श्री, डॉ. अशोक चक्रधर ( कस्य कवि / व्यंग्यकार ) -
शशिकांत की सारी कविताएं स्त्री के एक -एक क्षण को इकट्ठा करती हैं। जो स्त्री के इतने निजी हैं और इतने गोपन हैं कि पकड़ में नहीं आ सकते। स्त्रियां हैरान हो सकती हैं और ऐसा सोच सकती हैं कि शशिकांत ने शायद अपने नाम से आ का डंडा निकाल दिया है। यह कोई शशिकांत नहीं, कोई शशिकांता ही हो सकती है क्योंकि इतनी गहराई से स्त्री मन को समझ पाना और व्यक्त कर पाना पुरुष के लिए कम ही संभव है। तो क्या शशिकांत को परकाया प्रवेश की क्षमता हासिल है? वो स्त्री के नेह में, देह में, गेह में प्रवेश करना जानते हैं? शायद हां। यह क्षमता सिद्ध करती है कि वह कवि हैं और परकाया प्रवेश कर सकते हैं।

पद्म श्री, सुरेन्द्र शर्मा ( हास्य कवि ) -
एकाग्रता एवं सफलता से संबंधित ये पुस्तकें आज के दौर के लिए बहुत उपयोगी हैं। सफलता वही है जिसे हम अपने दम पर हासिल करते हैं और शशिकांत 'सदैव ' की पुस्तकें हमें सही मायनों में सफल होना सिखाती हैं।

पद्म विभूषण, डॉ. बिंदेश्वर पाठक ( समाजिक कार्यकर्ता एवं उद्यमी ) -
शशिकांत 'सदैव' की यह पुस्तक ' एक अच्छा इंसान सफल विजेता कैसे बने ' मैंने पढ़ी, ऐसा लगा जैसे मैंने ही लिखी है। यह पुस्तक अनेक तथ्यों को अपने में समेटे है और एक बृहत फलक पर इंसान को सफलता के मार्ग पर ले जाने के निर्देश करती है। इसमें आज के इंसान की वास्तविक सोच के उतार-चढ़ाव की उथल - पुथल को, सहज और सरल भाषा में प्रस्तुत कर उन पर बारीकी से प्रकाश डाला गया है, जहाँ पर पाठक स्वयं एक शून्यकाल की स्थिति में पहुँचकर गंभीर चिंतन की ओर अग्रसर होने लगता है और अपनी सफलता के मार्ग खोजने में सफल महसूस करता है। यह पुस्तक नई पीढ़ी के पाठकों को एक नई दिशा प्रदान कर उन्हें राह दिखाने में सक्षम होगी। शशिकांत ‘सदैव’ ने अपनी पुस्तक में छोटे-छोटे विचार-मंत्र दिए हैं, जिनसे सफलता पाई जा सकती है। शशिकांत ‘सदैव’ का प्रयास प्रशंसनीय है।
'पुस्तक कौन है ओशो' किसी राय या प्रतिक्रिया कि मोहताज नहीं यह अपने आप में ही पर्याप्त है, दिल से लिखी गई यह पुस्तक बहुत ही प्यारी कोशिश है। सच तो यह है कि जितने स्पष्ट और सच्चे ओशो हैं उतनी ही स्पष्ट और सच्ची यह पुस्तक है।
हिमांशु जोशी ( उपन्यासकार ) -
प्रेम के बारे मे या प्रेम पर लिखना सरल नहीं परन्तु पुस्तक 'इश्क की खुशबू है सूफी' में शशिकांत सदैव ने प्रेम को जिस सुन्दर ढंग से अभिव्यक्त किया है वह वास्तव में सराहनीय है।
शशिकांत सदैव की पुस्तक ' इश्क की खुशबू है सूफी ' सूफी एवं सूफीवाद पर एक बहुत ही अच्छी, सुन्दर एवं उच्च स्तर की पुस्तक है। शोध, संकलन, लेखन एवं अभिव्यक्ति सब बहुत ही बढ़िया है।.

डॉ. बलदेव वंशी ( लेखक / साहित्यकार ) -
इस जग में वस्तुओं को नाम तथा अर्थ हमने दिए हैं, वरना वे सब तो केवल 'होना' जानती हैं, होने में ही उनकी सार्थकता एवं पवित्रता है। शशिकांत सदैव की पुस्तक 'इश्क की खुशबू है सूफी' उसी 'होने' की एक प्यारी कोशिश है।
सरल और सहज होना बहुत ही कठिन है, परन्तु कोई शशिकांत सदैव से सीखे यह गुण वह जिस तरह स्वयं को भूल कर हमारे सामने बैठते हैं एक आईना हो जाते हैं। तुमको सुनते या पढ़ते हुए कहीं से भी कोई अटकन नहीं आती, ऐसा लगता है जैसे कोई प्राणधारा है जो हमको सींचे चले जा रही है।
शशिकांत की 'स्त्री की कुछ अनकही ' कविताओं ने मुझे बहुत छुआ है। अचरज होता है कि किसी स्त्री के अन्तः चेतना के कुओं को, उसके तमाम गलियारों को इतनी गहराई से किसी पुरुष ने अभिव्यक्त किया हो। यही हुनर शशिकांत की पहचान है।
किसी के मन को खंगालने का और उसे समझने का, शशिकांत सदैव में एक खास हुनर है। जो सवाल मैं अपने अंतर्मन में सोचती रही हूँ, जिन्हें मैंने कभी बाहर व्यक्त नहीं किया, वो में इनके साथ कह पाई हूँ। तुम से बात करके साफ़ झलकता है कि तुम ने केवल मनुष्य के लिए अज्ञात से कोई संदेश ले कर आए हो बल्कि इस जगत को एक संदेश देकर भी जाओगे।
बिना किसी बात से व्यथित और उत्तेजित हुए, पूरी सौम्यता, ठहराव और संतुलन के साथ सामने वाले के अंतर्मन में झांकने की गजब प्रतिभा है शशिकांत सदैव, जो बहुत कम लोगों में देखने को मिलती है।
डॉ. सरोजनी प्रीतम ( हास्य कवि / व्यंग्यकार )
अंतस की गहराइयों तक पहुंची संवेदनाएं भी शब्द पा लें यह कम ही हो पता है. 'स्त्री की कुछ अनकही ' की हर कविता एक अनन्य अभिव्यक्ति है जिसमे हर स्त्री अपना सारा दर्द उमड़ता पा लेगी।

डॉ. वेद प्रताप वैदिक ( पत्रकार / राजनैतिक विश्लेषक ) -
शशिकांत 'सदैव' की भाषा बहुत ही सरल है जो सीधी दिल तक पहुँचती है जिसके लिए न किसी शब्दकोष की ज़रुरत है न ही किसी अन्य सहारे की परन्तु सरल होते हुए भी वह अपने अंदर गहरे अर्थ रखती है। 'सदैव' की ग़ज़लें तपती दुपहरी में राहत का काम करती हैं। 'सदैव' की ग़ज़लों से 'मीर' झांकते हैं। इनकी मैनेजमेंट की पुस्तक भी बेजोड़ है जो न केवल हमें व्यावसायिक तौर पर सफल बनाने में हमारी मदद करती हैं बल्कि हमें व्यावहारिक एवं वैयक्तिक तौर पर भी ऊपर उठाती हैं।
ओशो पर लिखी शशिकांत सदैव की पुस्तक मुझे बहुत पसंद आई है। मैं शशिकांत को पढ़ता रहा हूं , वह बहुत ही प्रतिभावान लेखक हैं। यह ओशो के प्रेम में पूरी तरह डूब चुके हैं और पूरी तरह ओशोमय हो चुके हैं। इतना ही नहीं शशिकांत सदैव के लेख से यदि इनका नाम हटा दिया जाए तो यह पहचानना मुश्किल है कि यह लेख ओशो का है या शशिकांत का। शशिकांत सरल शब्दों में गहरी बातों को लोगों के दिलों में उतर देते हैं।
शशिकांत 'सदैव' की पुस्तक ' सब संभव है ' जीवन से गहरा सरोकार रखने वाले अनेक प्रश्नों को सुलझाती है। मुझे विश्वास है की यह पुस्तक व्यक्ति को आत्म रूपांतरण की दिशा में सार्थक सिद्ध होगी।
शशिकांत 'सदैव' उम्र की दृष्टि से तुम युवा हो पर ज्ञान की दृष्टि से तुम ज्ञानवृद्ध हो, सूफी को लेकर जितना कुछ इस ग्रन्थ में उपलब्ध है उतना नामी विद्वानों की प्रसिद्ध पुस्तकों में नहीं मिलता।
शशिकांत सदैव की यह पुस्तक इंसान के लिए एक 'आई ओपनर' है, जो अंतर्मन की आँखें व भीतर के तिलिस्म को खोलती है। यह पुस्तक 'फ्यूशन' है पूर्व और पश्चिम का, जो सिखाती है कि जीवन में कुछ अच्छाई व कुछ बुराई दोनों जरूरी है। यह पुस्तक हमें व्यावहारिक और संतुलित दोनों होना सिखाती है। आज के युवाओं को तो इस पुस्तक को अवश्य पढ़ना चाहिए।पुस्तक 'कौन है ओशो' के माध्यम से शशिकांत 'सदैव' ने ओशो का सही पक्ष निकाला है, इस शोध के जरिये उन्होंने अनूठा कार्य किया है। ओशो के पक्ष एवं विपक्ष से जुड़े दोनों लोगों को इस पुस्तक को अवश्य पढ़ना चाहिए।
अरुण जैमिनी ( हास्य कवि ) -
शशिकांत सदैव ओशो को लिखने के लिए चुनना अपने आप में एक चुनौती है. पुस्तक पड़ने के बाद लगता है कि शशिकांत ने ओशो को नहीं बल्कि ओशो ने शशिकांत को चुना होगा क्योंकि ओशो को सही मायने में पकड़ पाना और अभिव्यक्त करना अपने आप में दुरूह काम है।
गिरिराजशरण अग्रवाल ( लेखक ) -
जिस उम्र में हम दर्द से जूझते रह जाते हैं, उस उम्र में दर्द को शब्द देकर मरहम बनाने का प्रयास आपकी बेहतरीन काव्य क्षमता का प्रमाण है। यह मात्र कोरी कविताएं नहीं, उन सभी लोगों के लिए औषधि है, जो अपनी तन्हाई को अपनी आँखों में छुपाए रहते हैं।
सुरेश नीरव ( कवि / लेखक ) -
पुस्तक 'कौन है ओशो' बूंद में सागर को जीने की अलभ्य उपलब्धि है. यह पुस्तक एक बीज से कल्पवृक्ष होते हुए ओशो के दर्शन करवाती है जिसमें शशिकांत 'सदैव' के शब्द, निःशब्द झेन प्रार्थनाओं जैसे पवित्र लगते हैं और आहिस्ता आहिस्ता मौन में बदल जाते हैं।
शशिकांत 'सदैव' शब्दों के धनी और अभिव्यक्ति के जादूगर हैं। इनकी गजलों को पढ़ने के बाद ऐसा लगता है जैसे मन के भीतर कहीं अवसाद या निराशा के कुएं में कोई आदमी है जो पीड़ा से छटपटा कर बाहर आने को है और इनकी ग़ज़लें उसको एक सीढ़ी मुहैया कराती हैं। इनकी गजलों का जो तेवर है वह कहीं और नहीं देखा, वह शशिकांत 'सदैव' की रचनाओं में देखा है क्योंकि यह मैनेजमेंट के आदमी हैं। एक संतुलित व्यक्ति का जब संगीत आता है तब वह ऋचा बनता है, उपनिषद बनता है, वेद वाक्य बनता है। ऐसी चेतना के बिंदु पर जब कोई खड़े होकर कुछ रचता है तो वह अद्भुत और अद्वितीय होता है। जिन तुलसी छांव में शशिकांत 'सदैव' ने इन पुस्तकों को रचा है मैं उन क्षण - छांव को प्रणाम करता हूँ तथा चाहता हूँ कि वह इस क्षेत्र में एक नया नाम लेकर आएं क्योंकि 'सदैव' होना एक घटना नहीं, इतिहास है। 'सदैव' यानी जो नया है, पुराना है, अतीत एवं भविष्य है।
डॉ. अमर नाथ अमर ( मीडियाकर्मी / पत्रकार )
बहुमुखी प्रतिभा के धनी शशिकांत 'सदैव' युवा कवियों और लेखकों में एक अलग स्थान रखते हैं। उनकी लिखी कविताएं एवं ग़ज़लें एक ऐसे अध्यात्म की ओर ले जाती हैं जहाँ आम लोगों की दृष्टि कम ही जाती है तथा उनकी लेखनी अध्यात्म एवं सामाजिक सरोकार के बीच सेतु का काम करती है। शशिकांत 'सदैव' की गजलें व शेर न केवल एक चित्र खींचते हैं बल्कि उन अहसासों को भी पैदा करते हैं जिन्हें शब्दों के जरिये कह पाना मुश्किल है। ये ग़ज़लें पढ़ने वाले को ऐसे लोक में ले जाती हैं जहाँ वह खुद को भी खड़ा महसूस करता है। शशिकांत सदैव की रचनाएं न केवल चित्र खींचते हैं बल्कि उन एहसासों को भी पैदा करते हैं जिन्हें शब्दों के ज़रिए कह पाना मुश्किल है।
पुस्तक 'मैंनेजमेंट के मूल मंत्र' में विभिन्न बाइस विषयों के माध्यम से उन्होंने प्रबंधन को जितने गहराई और विस्तार से समझाया है वह अपने आप में नया, सम्पूर्ण और बेजोड़ है। मैनेजमेंट की यह पुस्तक हर स्कूल - कालेज में लगनी चाहिए।
पुस्तक 'इश्क की खुशबू है सूफी' के माध्यम से शशिकांत 'सदैव' ने सूफीवाद और इश्क को बड़े ही बेहतरीन एवं विस्तृत ढंग से सामने रखा है जिसे पढ़कर आप परम के नए ही स्वाद से सराबोर होने लगेंगे। इस पुस्तक से लौकिक जीवन को भी अलौकिक बनाया जा सकता है।
आलोक पुराणिक ( व्यंग्यकार / कहानीकार ) -
शशिकांत सदैव की यह पुस्तक, सफलता प्राप्त करने के गुन बड़ी ईमानदारी से बताती है। अच्छा इंसान कौन है तथा क्या है असली सफलता इस बात को तो विस्तारपूर्वक समझाती ही है साथ ही अच्छा इंसान सफल विजेता बनने के लिए क्या करे व क्या न करे इस बात को भी बड़ी सरल भाषा में व्यावहारिक रूप से स्पष्ट करती है।
कौन है ओशो शशिकांत सदैव का एक अद्भुत प्रयास है। यह पुस्तक एक विस्तृत चलचित्र के ट्रेलर जैसी है जिसको देखकर दर्शक चलचित्र देखने को लालायित हो जाता है। यह पुस्तक ओशो को अधिक जानने और पढ़ने के लिए प्रेरित करेगी।
शशिकांत सदैव कि सूफीवाद जैसे गूढ़ विषय पर सरल और सहज भाषा शैली में लिखी यह पुस्तक लोगों की सोच और व्यवहार को नई दिशा देगी, लोग इसे पढ़कर उच्चतम आदर्शों की ओर उन्मुख होंगे ऐसा मेरा विश्वास है।
शशिकांत 'सदैव' कि पुस्तक 'इश्क की खुशबू है सूफी' निश्चित ही एक शोध पुस्तक है, कोई भी पाठक यदि इसे एक बार पढ़ने लगे तो निश्चित ही इसमें डूबता जायगा।
विज्ञान व्रत ( कवि / चित्रकार ) -
इस प्रकार ओशो पर लिखने वाला या लिखा जाने वाला साहित्य मैंने पहले कभी नहीं पड़ा था।शशिकांत 'सदैव' ने ओशो पर बहुत ही विषद विवेचन किया है, ओशो को आत्मसात करते हुए उसको समग्र रूप से इस पुस्तक में जब्त किया है।
शशिकांत 'सदैव' की पुस्तक 'सब संभव है' पढ़ने योग्य ही नहीं अपितु पूर्णता प्रयोगात्मक है। यह पुस्तक जीवन में सकारात्मक सोच व साफ़ नज़रिए का आविर्भाव करती है।
मन-मस्तिष्क की क्षमता को कैसे एक ही दिशा में लगाया जाए इस बात को बहुत ही सुन्दर और सरल शब्दों में बताती है शशिकांत 'सदैव ' की पुस्तक 'मनचाही सफलता पाएं अपनी एकाग्र क्षमता बढ़ाएं। ' छोटी - छोटी आस-पास की व्यावहारिक चीजों के माध्यम से हम कैसे स्वयं को नियंत्रित व एकाग्रचित कर सकते हैं यह हमें इनकी पुस्तक से सीखना चाहिए। सफल तो बहुत होते हैं परंतु सामने वाले पर छाप वही छोड़ते हैं जिनका व्यक्तित्व मजबूत होता है और शशिकांत 'सदैव ' जी की पुस्तक 'व्यक्तित्व निखारें भविष्य सुधारें ' व्यक्तित्व को निखारने व उसका निर्माण करने में सहायक है। दोनों ही पुस्तकें पढ़ने योग्य हैं । मैं चाहती हूं अधिक से अधिक लोग इसे पढ़ें। विशेषकर युवा पीढ़ी के लिए अनुकरणीय है। सरल भाषा में लिखी गयी दोनों पुस्तकें जीवन में बदलाव लाने में सहायक हैं। इन्हें पढ़ने के लिए ज्यादा सोचने, याद करने या दिमाग लगाने की जरूरत नहीं है। ये सरलता से आत्मसात हो जाती हैं। मैं विश्वास के कह सकती हूं कि आने वाले समय में हम भारत को, अपने व्यक्तित्व को कैसे निखार सकते हैं ये दोनों पुस्तकें उसमें सहायक होंगी।
मैं यह नहीं कहूंगा के मैंने शशिकांत ' सदैव ' जी की पुस्तकों को पढ़ा है बल्कि मैंने इनकी दोनों पुस्तकों को जिया है। ये मोटीवेट करती हैं तथा मनुष्य में छिपे उसके सामर्थ्य को पहचानने का काम भी करती हैं। हमें इन्हें पढ़ना ही नहीं है बल्कि जीवन में उतारने की कोशिश भी करनी है।
बहुत अंतराल के बाद एक इसी पुस्तक पढ़ने को मिली है जो मन में प्रेम की उजास बिखेरती है .शशिकांत 'सदैव' ने पुस्तक 'इश्क की खुशबू है सूफी' से जो प्रयास किया है वह इस युग की आवश्यकता है और कलम का धर्म है। यह पुस्तक हर घर में पढ़ी जाय और विद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल हो।
इंद्रेश कुमार ( आर.एस.एस. के वरिष्ठ नेता ) -
यह पुस्तक हमें सफल और प्रसन्न रहने के साथ - साथ सफल और अच्छा इंसान दोनों बनना सिखाती है। यह पुस्तक इंसान के सफल होने के लिए उसका मार्गदर्शन ही नहीं करती बल्कि उस पथ पर चलना भी सिखाती है जिस पर चलकर सफलता प्राप्त हो सकती है। शशिकांत सदैव की यह पुस्तक उनके अनुभवों का अभूतपूर्व प्रयोग है। आशा है वह पुस्तक के रूप में इस समाज और साहित्य को अपने अनुभव देते रहेंगे।
यह पुस्तक लेखन और अभिव्यक्ति के माध्यम से ही नहीं मार्गदर्शन के हिसाब के माध्यम से भी यह एक बेहतरीन पुस्तक है, जो हमारी आँखे खोलती है। इस पुस्तक के जरिए शशिकान्त सदैव ने सफलता और इंसान की सामाजिक जिम्मेदारियों के साथ-साथ, जीवन के हर व्यावहारिक पहलू को बड़ी गहराई के साथ छुआ है। मैं उन्हें उनकी इस पुस्तक के लिए बधाई देता हूँ तथा हर इंसान से आग्रह करता हूँ की वो इस पुस्तक को अवश्य पढ़ें।

आचार्य निशांत केतु ( लेखक / साहित्यकार ) -
शशिकांत सदैव की पुस्तकें विविध पक्षों का अनावरण और विश्लेषण करती हैं। उनकी लेखनी में मकरंद का गद्यगीत और मधु गुंजन का अनहद नाद भी है। मैं उनकी लेखनी से अभिभूत हूं व इतनी सुन्दर पुस्तकों के लिए उन्हें बधाई देता हूं तथा आशा करता हूं वह भविष्य में भी अपनी रचनाओं से साहित्य जगत को ऐसे ही सींचते रहेंगे।
डॉ. रविन्द्र नागर ( संस्कृत प्राचार्य भारतीय विद्या भवन ) -
वाणी का मुरीद हूं, वो जितना मीठा बोलते हैं उतनी ही बढिय़ा पुस्तकें भी लिखते हैं । इनकी पुस्तकें जीवन की हकीकत से पहचान कराती हैं। वे जब भी किसी विषय पर लिखते हैं उसमें पूरे डूबकर गहराई से, शोध के साथ लिखते हैं। इनकी पुस्तकों को पढ़कर ज्ञान ही नहीं मिलता बल्कि जीवन की व्यावहारिक जरूरतों का भी बोध होता है।
कहने को सूफियों पर कई किताबें हैं लेकिन इतनी शोधित, विस्तृत और बारीकी से लिखी गई यह पुस्तक अपने आप में नायब है।
ओ. पी. राठौर (आर.जे. / वॉइस ओवर आर्टिस्ट )
विलक्षण प्रतिभाओं के धनी शशिकांत सदैव जी का व्यक्तित्व बहुआयामी है उनका व्यक्तित्व इतना विराट है कि उनके लिए शब्दों का चयन करना मुश्किल हो जाता है। इनसे मिलकर, यह शिकायत, कि हमें कोई नहीं समझता दूर हो जाती है। इनसे मिलना किसी शांत झील उतरने जैसा है। आपको ओशो को पढ़ने - सुनने वाले बहुत लोग परन्तु ओशो को जानने - समझने वाले लोग न के बराबर हैं, जिसे शशिकांत सदैव ने संभव किया है, जो कि अपने आप में एक आश्चर्य है।
निर्मलेंदु ( संपादक / पत्रकार ) -
कवि शशिकांत 'सदैव' ने अपने विरह रुपी वेदना को ख़ामोशी के आँगन में बैठकर कविगुरु रविन्द्रनाह ठाकुर की तरह 'एकला चलो' की तर्ज पर स्वयं को झेलने की कोशिश की है। अद्भुत है यह कोशिश जिसमें सब कुछ शामिल है। मैं कभी शशिकांत कि साधना को देख कर प्रेरित हो जाता हूँ तो कभी उसकी मेहनत पर फक्र महसूस करता हूँ।
राज शेखर मिश्र ( संपादक / पत्रकार ) -
नई पीढ़ी के कवि शशिकांत 'सदैव' की कविताएँ मौलिक हैं। दर्द और कराह से लबरेज़ इन कविताओं में नए मुहावरे हैं, दर्द को जीने और उसे अभिव्यक्त करने का हुनर है।
वेद प्रकाश ( समाचार वाचक ) -
शशिकांत 'सदैव' कि रचनाओं के पीछे छिपा दर्द आवाज़ देता है, जो रुह तक पहुंचता है और गहराइयों में दफन दर्द की परतें करवटें लेने लगती हैं, इनकी कविताएँ काबिले तारीफ हैं।
स्वामी चेतन्य कीर्ति ( ओशो संन्यासी / संपादक ) -
शशिकांत सदैव के काम को देखकर व पढ़कर मुझे हमेशा प्रसन्नता होती है क्योंकि उसका काम किसी काम कि तरह नहीं होता बल्कि उसके ह्रदय का उदगार होता है। ओशो जैसे संबुद्ध सदगुरु पर लिखना सरल काम नहीं, उसके लिए ओशो जैसे महासागर में डूबना, मिटना और घुलना पड़ता है। शशिकांत ने इसे बड़ी सफलता पूर्वक किया है। ओशो क्यों आए और उन्होंने मानव एवं समाज के लिए क्या किया तथा ओशो अपनी सच्ची व सही तस्वीर के साथ जन-जन तक पहुंचे, यही शशिकांत की पुस्तकों का प्रयास है जो कि वास्तव में सराहनीय है। मुझे ख़ुशी है कि जो भी काम मैं ओशो के लिए करना चाहता हूं, उसे शशिकांत बड़ी लगन से सफलतापूर्वक पहले ही कर चुके होते हैं।
पुरुष होते हुए स्त्री के अवचेतन परतों की तहों में प्रवेश कर, उसके नज़रिए से देखना और महसूस करना, मैं तो अब तक मानती थी पुरुष के लिए असंभव सा है लेकिन तुम्हारी कविताओं ने मुझे यह आशा बंधाई है कि पुरुष भी संवेदनशील हो सकतें है और स्त्री के रहस्य में पैठ रख सकते हैं।
शशिकांत 'सदैव' कि पुस्तक ' कौन है ओशो ' बहुत ही उपयोगी पुस्तक है, एक बढ़ी जरूरत को पूरा करती है। इतना बड़ा कार्य आपने किया है कि उसके लिए प्रशंसा के शब्द कम पढ़ जातें हैं। जितना पढ़ो उतनी आँखें कदम - कदम पर आंसुओं से तर बतर हो जाती हैं।
शशिकांत 'सदैव' प्रखर प्रतिभा के उदीयमान कवि और लेखक हैं. आप लेखनी के जादूगर हैं.
धरम भारिया ( संपादक / लेखक ) - शशिकांत 'सदैव' कि रचनाओं को पढ़कर में एक ही बात कह सकता हूँ कि वह शब्दों के जादूगर हैं।
सतीश सागर ( लेखक / पत्रकार ) - शशिकांत 'सदैव' खुली आँखों से दुनिया को देखने का प्रयास करते हैं जो कि निश्चित रूप से महत्वपूर्ण बात हैं। ईमानदारी से रची गई उनकी कविताएँ आस्था जगाती हैं, जिसे पाठक जुड़े बिना रह नहीं सकता।
धनंजय सिंह ( संपादक / लेखक ) - शशिकांत सदैव मन कि अनुगूंजो के कवि हैं। कविता उनके लिए जीवन जीने के समान है। जैसे सामान्य मनुष्य के जीवन में सांसों का उतार चढ़ाव सहज गति से स्वमेव होता है वैसे ही कविता शशिकांत के साथ-साथ सांस लेती है।
डी. पी. बन्दुनी - शशिकांत 'सदैव' का काव्य संग्रह 'स्त्री की कुछ अनकही' की कविताएँ बेजोड़ हैं। वे व्यक्तिगत न होकर समष्टिगत हैं। रचनाओं को पढ़ने के बाद लगता है कि स्त्री के बारे में कुछ भी अनकहा नहीं रह गया।
उर्मी सत्य भूषण ( कवि / लेखक ) - शशिकांत 'सदैव' 'इश्क की खुशबू है सूफी' सच्ची इबादत से उभरी है , 'सदैव' ने सूफी का विश्लेषण दिल और दिमाग की गहराईयों से किया है इसलिए यह ख़ुशबू एहसासों में भी गहरी उतरती है और सोचो कि धरती पर बिछ गई है.
इंदु जैन ( कवि / लेखक ) - शशिकांत सदैव आपकी कविताओं को पढने के बाद में यह कहे बिना नहीं रह सकती कि आपके द्वारा उठाये प्रश्न बेहद महत्वपूर्ण हैं। जो इन कविताओं को पढ़ेगा वह सोच में जरूर डूबेगा और उसे रौशनी की, समझ कि, सेंघ से उजाला भी मिलेगा।
धनंजय सिंह ( संपादक / लेखक ) - शशिकांत सदैव मन कि अनुगूंजो के कवि हैं। कविता उनके लिए जीवन जीने के समान है। जैसे सामान्य मनुष्य के जीवन में सांसों का उतार चढ़ाव सहज गति से स्वमेव होता है वैसे ही कविता शशिकांत के साथ-साथ सांस लेती है।
डी. पी. बन्दुनी - शशिकांत 'सदैव' का काव्य संग्रह 'स्त्री की कुछ अनकही' की कविताएँ बेजोड़ हैं। वे व्यक्तिगत न होकर समष्टिगत हैं। रचनाओं को पढ़ने के बाद लगता है कि स्त्री के बारे में कुछ भी अनकहा नहीं रह गया।
उर्मी सत्य भूषण ( कवि / लेखक ) - शशिकांत 'सदैव' 'इश्क की खुशबू है सूफी' सच्ची इबादत से उभरी है , 'सदैव' ने सूफी का विश्लेषण दिल और दिमाग की गहराईयों से किया है इसलिए यह ख़ुशबू एहसासों में भी गहरी उतरती है और सोचो कि धरती पर बिछ गई है.
इंदु जैन ( कवि / लेखक ) - शशिकांत सदैव आपकी कविताओं को पढने के बाद में यह कहे बिना नहीं रह सकती कि आपके द्वारा उठाये प्रश्न बेहद महत्वपूर्ण हैं। जो इन कविताओं को पढ़ेगा वह सोच में जरूर डूबेगा और उसे रौशनी की, समझ कि, सेंघ से उजाला भी मिलेगा।
पत्र - पत्रिकाओं में प्रकाशित शशिकांत सदैव की पुस्तकों की समीक्षाएं
शशिकांत 'सदैव' की रचनाएँ न केवल अछूते कोणो को संस्पर्श करतीं हैं बल्कि अपनी सरस व एकाकार कर देने वाली शैली से पाठक को अपने साथ बहा भी ले जाती है। शायद इसी कारण से इनकी कविताओं में दार्शनिकता किसी भी रूप में बोझिलता का सबब नहीं बनती और वह कविता में घुल - मिल जाती है।
मन की गहराईओं की थाह पाना उतना ही दुरूह है जितना समुद्र की तलहटी से मोती निकालना। अंतस के इन्हीं मनोभावों को बड़े सूक्ष्म रूप से उकेरती हैं शशिकांत 'सदैव' की कविताएँ, जो दुख देती नहीं दुख बाँट लेती हैं। यह सभीमनुष्य को मांझने में मददगार हैं।
ओशो को जानने व समझने में शशिकांत 'सदैव' की पुस्तक ' कौन है ओशो ' काफी सहायक है।
यथार्थ और संवेदना से लबरेज़ शशिकांत 'सदैव' की कविताएँ किसी स्वप्न लोक में नहीं ले जाती बल्कि खुद को खुद के करीब ले आती हैं। तन्हाई और शिकायतों से दूर खुद को खुद का हमसफ़र बनाकर ताउम्र जीना का जुनून देती हैं इनकी कविताएं।
शशिकांत 'सदैव' की कविताएँ ज़िन्दगी के बहुत नज़दीक हैं जो हर मनुष्य को ज़िन्दगी के सही मायने समझती है जिसको शुतुरमुर्ग की तरह रेत में गर्दन धंसाकर झुठलाया नहीं जा सकता।
भिन्न- भिन्न मन स्थितियों की परिचायक शशिकांत 'सदैव' की कविताएं हर दर्द के लिए दावा है, जिसमें सुलगते प्रेम की आभा स्पष्ट नज़र आती हैं।
सूफियों के रहस्यमय जीवन को जानने का एक माध्यम है शशिकांत 'सदैव' की पुस्तक 'इश्क की खुशबू है सूफी' जिसके द्वारा न केवल सूफियों के अंतर्जगत में प्रवेश किया जा सकता है बल्कि अंदर बैठे भगवान के निकट हुआ जा सकता है।
शशिकांत 'सदैव' ओशो के जीवन के अंतरंग पहलुओं को समेटते हुए एक मूल्यवान पुस्तक लिखी है 'कौन है ओशो' जिस में ओशो के जीवन की खोजपूर्ण व्याख्या मिलती है साथ ही ओशो के जीवन से जुड़ी कई जिज्ञासाओं एवं प्रश्नों का समाधान भी करती है यह पुस्तक।
पुस्तक 'इश्क की खुशबू है सूफी' के जरिये लेखक दरवेशों की आत्मा तक पहुँचने की कोशिश में इतने गहरे तक उतर गया है कि आत्मा से ईश्वर के मिलन की यह परंपरा शब्दों की शक्ल में ढल गई है।
बहुआयामी व्यक्तित्व के माली ओशो को एक पुस्तक में समाहित करना संभव नहीं परन्तु पुस्तक 'कौन है ओशो' के ज़रिये लेखक शशिकांत 'सदैव' ने यह कर दिखाया है।
'कौन है ओशो 'यकीनन एक विचारोत्तेजक पुस्तक के रूप में हमारे सामने है। यह एक कठिन कार्य है क्योंकि शशिकांत 'सदैव' एक विवादित व्यक्तित्व को चुन रहे हैं, ओशो पर इतनी वैविध्य जानकारी इतने स्तरीयता के साथ आई है कि लेखक को साधुवाद देना चाहिए।
ओशो को समझने के लिए गागर में सागर है यह पुस्तक ' कौन है ओशो'। ओशो पर अभी तक बहुत ही कम शोध कार्य हुआ है पर जितना भी हुआ है उसमें शशिकांत 'सदैव' का यह प्रयास वास्तव में सबसे अलग एवं प्रशंसनीय है।
मन की इतनी सूक्ष्म एवं गहरी अभिव्यक्तियाँ शायद ही कहीं पढ़ने को मिले. शशिकांत 'सदैव' की किताबों को पढ़ना अपने आप में निर्भार होना है।



















































